अजीब है ना!
१०० रूपियेका नोट बहोत ज़्यादा लगता है जब "गरीब को देना हो", मगर होटल में बैठे हो तो बहुत कम लगता है....
३ मिनट भगवान को याद करना बहोत मुश्किल है, मगर ३ घंटेकी पिक्चर फिल्म देखना बहोत आसान.......
पूरे दिन मेहनतके बाद जिम जाना नहीं थकाता, मगर जब अपनेही माँ-बापके पैर दबाने हो तो लोग तंग आ जाते है.....
वैलेंटाइन डे को २०० रूपियोंका बुके ले जाएंगे, पर मदर डे को १ गुलाब अपनी माँ को नहीं देंगे.......
इस मेसेजको फॉरवर्ड करना बहुत मुश्किल लगता है, जब की फिजूल जोक्सको फॉरवर्ड करना हमारा फर्ज़ बन जाता है.....
१०० रूपियेका नोट बहोत ज़्यादा लगता है जब "गरीब को देना हो", मगर होटल में बैठे हो तो बहुत कम लगता है....
३ मिनट भगवान को याद करना बहोत मुश्किल है, मगर ३ घंटेकी पिक्चर फिल्म देखना बहोत आसान.......
पूरे दिन मेहनतके बाद जिम जाना नहीं थकाता, मगर जब अपनेही माँ-बापके पैर दबाने हो तो लोग तंग आ जाते है.....
वैलेंटाइन डे को २०० रूपियोंका बुके ले जाएंगे, पर मदर डे को १ गुलाब अपनी माँ को नहीं देंगे.......
इस मेसेजको फॉरवर्ड करना बहुत मुश्किल लगता है, जब की फिजूल जोक्सको फॉरवर्ड करना हमारा फर्ज़ बन जाता है.....
इस पे जरा सोचियेगा या दुबारा पढ़िएगा।
Thanks & best regards,
Taranprit Singh Bath
It's not your fault that you Born Poor.,.,.$
But if you die Poor then it's ONLY your fault .,.,.$
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